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पुराजलवायु

पृथ्वी की पिछली जलवायु का अध्ययन जलवायु की भविष्य की गतिशीलता को समझने में महत्वपूर्ण है। इस शोध गतिविधि का उद्देश्य हिमालय और उसके निक्षेपण घाटियों (भारत-गंगा के मैदान और हिंद महासागर) के विभिन्न भू-अभिलेखीय सेटिंग्स (वृक्ष वलय, झील तलछट, पीट, नदी के जमाव, स्पेलियोथेम और हिमनद जमाव) से प्रॉक्सी रिकॉर्ड (तलछट विज्ञान, भू-रसायन विज्ञान, पर्यावरण चुंबकत्व, स्थिर आइसोटोप, मिट्टी खनिज विज्ञान, अनाज आकार पराग और डायटम) के माध्यम से पिछले जलवायु/मानसून का पुनर्निर्माण करना और इसके पारिस्थितिक संबंध स्थापित करना है।

वृक्ष-वलय पर्यावरणीय चर में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों को निरंतर संरक्षित करते हैं और कई शताब्दियों/सहस्राब्दियों तक सटीक तिथि-निर्धारण प्रदान करते हैं। दूसरी ओर, झील/पीट और नदी के अभिलेख दशकीय से शताब्दी वर्ष के पैमाने पर देर-चतुर्थक काल अवधि तक जानकारी प्रदान करने में सक्षम हैं। समुद्री अभिलेख सेनोज़ोइक युग के लिए जलवायु और टेक्टोनिक्स के महाद्वीपीय-पैमाने के प्रभाव के बारे में भी जानकारी प्रदान करने में सक्षम हैं। बहु-अभिलेखीय और बहु-प्रॉक्सी जलवायु अभिलेखों का उपयोग जलवायु के व्यवहार को समझने और क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु संबंधों की स्थापना में स्थानीय डेटा अंतर को पाटने के लिए किया जा सकता है।

टीम के सदस्य

डॉ. जयेंद्र सिंह

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    Personal : 9412059146
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डॉ. सोम दत्त

डॉ. सोम दत्त

वैज्ञानिक ‘D’

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    Personal : 91+ 9410359206
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डॉ. (श्रीमती) सुमन लता श्रीवास्तव

  • 0135-2525270
  • suman[at]wihg[dot]res[dot]in
 डॉ. छवि पंत पांडे

डॉ. छवि पंत पांडे

वैज्ञानिक ‘D’

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डॉ. सुदीप्त सरकार

डॉ. सुदीप्त सरकार

वैज्ञानिक ‘C’

  • 7983446083
  • sarkar[at]wihg[dot]res[dot]in / sudipta.geology@gmail.com
डॉ. प्रकाशम एम.

डॉ. प्रकाशम एम.

वैज्ञानिक ‘B’

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  • prakasam[at]wihg[dot]res[dot]in